संजय दत्त के जेल में लिखे ‘शेर’ हुए लीक, आप भी पढ़िये
मुन्ना ‘मासूम’ के दीवान में पहला शेर कुछ यूं हैः
हंगामा था क्यूं बरपा, राइफ़ल ही तो रक्खी थी
डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की थी
डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की थी
अपने आठवें पैरोल पर ख़ुशी जताते हुए वो लिखते हैः
इक पैरोल का नग़मा है, फरलो की कहानी है
ज़िंदगी यहां कटती नहीं, हमें तो घर पे बितानी है
ज़िंदगी यहां कटती नहीं, हमें तो घर पे बितानी है
जेल में पहली रात जब उन्हें नींद नहीं आयी, तो उन्होंने लिखाः
सारे क़ैदी सो गये, मुन्ना मासूम जागे
देखो सर्किट देखो, सुई के कांटे भागे
एक लोचा खतम, ये दूजा शुरु हो गया मामू
सुबह हो गयी मामू…मामू…ओ मामू
देखो सर्किट देखो, सुई के कांटे भागे
एक लोचा खतम, ये दूजा शुरु हो गया मामू
सुबह हो गयी मामू…मामू…ओ मामू
अपने पुराने दिनों को याद करते हुए वो एक जगह लिखते हैः
चार बोतल वोदका, काम मेरा रोज़ था
ना मुझे कोई रोका, ना किसी ने टोका
मैं रहता सारी रात इन द बार, दारू पीता लगातार
एक आधी सब पी लेते थे, मैं पीता था बोतल चार
ना मुझे कोई रोका, ना किसी ने टोका
मैं रहता सारी रात इन द बार, दारू पीता लगातार
एक आधी सब पी लेते थे, मैं पीता था बोतल चार
बॉलीवुड के अपने एक साथी पर निशाना साधते हुए वो लिखते हैः
मुजरिम ना कहना मुझे लोगो, मुजरिम तो सारा ज़माना है
पकड़ा गया वो चोर है, जो बच गया वोसल्लू सयाना है
पकड़ा गया वो चोर है, जो बच गया वो
एक बार पैरोल पर जाने से पहले ‘मासूम’ ने लिखाः
रोते हुए आते हैं सब, हंसता हुआ जो जायेगा
वो पैरोलों का सिकंदर, मुन्ना मासूम कहलायेगा
वो पैरोलों का सिकंदर, मुन्ना मासूम कहलायेगा
एक दिन अचानक उन्हें पैरोल से लौटा हुआ देखकर जेलर के मुंह से भी एक शेर निकल गयाः
वो आये हमारे सेल में, ख़ुदा की क़ुदरत है
कभी हम उनको, कभी अपने सेल को देखते हैं
कभी हम उनको, कभी अपने सेल को देखते हैं
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